"उस दिन जो हुआ उसके लिए मुझे बहुत खेद है," अश्रुपूरित नेत्रों से सत्यभामा ने कहा। कुछ पल के मौन के उपरान्त, सत्यभामा ने पूछा, “एक महिला के रूप में, मैं समझती हूं कि यह कठिन रहा होगा, आपने उस मानसिक आघ
थोड़ी देर बाद कृष्ण उसके कक्ष में आये, वह चिंतित थी कि अर्जुन के साथ फिर कभी कुछ पहले जैसा नहीं होगा किन्तु उसने कृष्ण का स्वागत सदैव की ही भाँती अपनी मधुर मुस्कान से किया, अपने बुरे समय में भी अपनी म
सफ़ेद बर्फ की चादर ओढ़े, हिमालय गर्व के साथ भूमि से आसमान की ओर उठ रहा था, मानो धरती से उठ, भयंकर बादलों का छेदन कर आकाश को छूना चाहता हो। पठार पर हरियाली, तथा ऊपर प्रचुर मात्र में आकाश, एवं नीचे नीले